कल अंडर-19 वीमेंस वर्ल्ड कप का फाइनल मैच था। भारत की महिला टीम इंग्लैंड को हरा कर विश्व विजेता बन गई है। फाइनल मुकाबला साउथ अफ्रीका में हो रहा था। मैच से पहले वहां से करीब 8 हजार किलोमीटर दूर यूपी के उन्नाव में एक परिवार भी तैयारी कर रहा था। भारतीय टीम में शामिल बॉलिंग ऑलराउंडर अर्चना देवी का परिवार। काफी संघर्षों के बाद अर्चना ने टीम इंडिया को बनाया विश्व विजेता बना दिया। चलिए आपको उनके संघर्ष के बारे में बताते है।
रविवार को भारत ने अंडर-19 महिला टी-20 विश्व कप में इंग्लैंड को हराकर शानदार जीत हासिल की है। भारत ने तीन विकेट खोकर जीत हासिल की। इंग्लैंड की टीम सिर्फ 68 रन पर ही ऑल आउट हो गई। इस जीत के बाद से अर्चना के घर और गांव में जश्न का माहौल है।
अर्चना देवी के क्रिकेटर बनने के पीछे उनकी मां ने कड़ी तपस्या की और समाज की आलोचनाओं को भी झेला। सावित्री के पति का कैंसर के कारण निधन हुआ तो बेटे ने सांप के काटने के बाद अंतिम सांस ली। इस कारण सावित्री को लोग डायन बुलाते थे। इसके बाद रिश्तेदारों ने सावित्री पर इल्जाम लगाए कि उन्होंने बेटी अर्चना को गलत रास्ते पर भेज दिया।
सावित्री ने जब उत्साहित बेटी का कस्तूरबा गांधी अवासीय बालिका विद्यालय में दाखिला कराया तो पड़ोसियों ने काना-फूसी की थी कि मां ने अर्चना को किसी दलाल के पास बेच दिया है। यह लड़कियों का बोर्डिंग स्कूल गंज मुरादाबाद में थे, तो उत्तर प्रदेश के उन्नाव में उनके गांव रतई पुरवा से करीब 15-20 किमी दूर था।
सावित्री ने द इंडियन एक्सप्रेस से फोन पर बातचीत में कहा, ‘लड़की को बेच दिया। लड़की को गलत धंधे में डाल दिया है। ये सारी बातें मेरे मुंह पर बोलते थे।’ जिस दिन सावित्री की बेटी अर्चना महिला अंडर-19 टी20 वर्ल्ड कप फाइनल खेल रही थी तब उनके घर मेहमानों की भीड़ इकट्ठा हो गई थी। सावित्री ने बताया, ‘अब मेरा घर मेहमानों से भरा है और मेरे पास देने के लिए उन्हें कंबल तक नहीं हैं। पड़ोसी, जो मेरे घर से एक गिलास पानी भी नहीं पीते थे, वो अब मदद कर रहे हैं।’
बता दें कि अर्चना के पिता शिवराम का 2008 में कैंसर के कारण देहांत हो गया था। वो सावित्री पर काफी लोन और तीन युवा बच्चों की देखभाल का जिम्मा छोड़ गए थे। 2017 में सावित्री के छोटे बेटे बुद्धिमान सिंह की सांप के काटने से मृत्यु हो गई थी। पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने सावित्री को बिलकुल नहीं बख्शा।
अर्चना के बड़े भाई रोहित कुमार ने कहा, ‘गांव वाले मेरी मां को डायन बुलाते थे। कहते थे पहले अपने पति को खा गई, फिर अपने बेटे को, इनको देख लेते थे तो रास्ता बदल लेते थे। हमारे घर को डायन का घर कहा जाता था।’ रोहित ने मार्च 2022 में पहले लॉकडाउन के दौरान अपनी नौकरी गंवा दी थी। उन्होंने बताया कि बच्चों की परवरिश के लिए उनकी मां ने कितनी तकलीफें सही हैं।
रोहित ने बताया, ‘हर साल हमने बाढ़ का सामना किया। आधे समय हमारे खेत गंगा नदी के कारण पानी से भरे रहते थे। हम अपनी एक गाय और भैंस के दूध पर निर्भर थे। हम इतने साल केवल अपनी मां के कारण जी सके हैं। उन्होंने मुझे अपना ग्रेजुएशन पूरा करने पर जोर दिया और अब चाहती हैं कि मैं सरकारी नौकरी की तैयारी करूं।’ अपनी जिंदगी में रुकावटों को दरकिनार करती हुई सावित्री बस आगे बढ़ती गईं। उनके बेटे के आखिरी शब्द उन्हें आगे बढ़ाते थे, ‘अर्चना को अपना सपना पूरा करने देना।’
महिला अंडर-19 टी20 वर्ल्ड कप फाइनल के दिन सावित्री का घर मेहमानों से भरा था। सभी लोग कह रहे थे कि तुम लोगों की तो किस्मत बदल गई। मगर इन सबसे परे सावित्री चूल्हें में 20-25 लोगों का खाना बनाने में व्यस्त रही। 21 साल के रोहित ने अपनी मां के हाथ से स्मार्टफोन लेकर कहा, ‘मेरी मां बहुत महान है, जिन्होंने एक चवन्नी कभी मदद नहीं किया, वो आज मेहमान बने हुए हैं और ये सबको चाय पिला रही हैं।’
रोहित ने अर्चना को प्रोत्साहित करने के लिए कुलदीप यादव को श्रेय दिया। रोहित ने कहा, ‘कुलदीप यादव कहते थे- अर्चना तुम्हें भी इंडिया के लिए क्रिकेट खेलना है। अर्चना पलटकर कहती थी हां भैया। एक दिन कुलदीप यादव एकेडमी के कुछ बच्चों को लेकर लंच पर गए थे। रास्ते में अर्चना ने पूछा कि भैया ये कौन सी गाड़ी है? कुलदीप भाई ने पलटकर कहा, ‘जब बड़ी स्टार बन जाओगी तो इससे भी अच्छी गाड़ी लेना और हम सब को घुमाना।’ आज अर्चना ने अपने घर का सपना पूरा किया और अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में धमाल मचाने को बेकरार हैं।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अर्चना की मां सावित्री देवी ने बताया कि उनके गांव में बिजली का कोई ठिकाना नहीं है। इसलिए उन्होंने इन्वर्टर खरीदने के लिए पैसे जुटाए। रतई पूरवा गांव में करीब 400 परिवार है। सभी अर्चना को फाइनल में देखने के लिए एक्साइटेड थे। सावित्री देवी ने अखबार को बताया, “मेरी बेटी वर्ल्ड कप फाइनल में खेल रही है. हम सभी बिना रुकावट के पूरा मैच मोबाइल फोन में देखना चाहते हैं.”
स्कूल के दिनों में अर्चना रेस में हिस्सा लेती थी. इसी दौरान क्रिकेट कोच पूनम गुप्ता ने अर्चना की स्पीड और क्षमता का पता चला. पूनम ने ही पहली बार अर्चना के लिए बैट खरीदा। इसके बाद अर्चना क्रिकेट प्रैक्टिस के लिए कानपुर आ गई। साल 2018 में अर्चना यूपी क्रिकेट टीम का हिस्सा बन गईं थी। 2022 में पहली बार उसे इंडिया-ए टीम में चुना गया।