दुनिया के सबसे बड़े उद्योगपतियों और अमीर आदमियों की लिस्ट मे एक नाम भारत के बिजनेसमैन मुकेश अंबानी का भी है। मुकेश अंबानी का पिछले कई सालों से बिजनेस के क्षेत्र में दबदबा रहा है। अंबानी परिवार न केवल अपने व्यापार, बल्कि धार्मिक आयोजनों के लिए भी जाना जाता है। कहते हैं जीवन में सफलता के लिए एक गुरु का होना बहुत जरूरी होता है। ऐसे ही अंबानी परिवार के भी एक गुरु हैं, रमेश भाई ओझा। अंबानी परिवार अपना हर छोटा-बड़ा फैसला इन्हीं के कहने से लेता है।
अंबानी परिवार के गुरु रमेश भाई ओझा हैं, जो एक जाने-माने आध्यात्मिक गुरु हैं। ये गुजरात के पोरबंदर में एक आश्रम चलाते हैं, जिसका नाम ‘संदीपनी विद्यानिकेतन आश्रम’ है। रमेश भाई ओझा अंबानी परिवार के साथ तब से हैं, जब धीरूभाई अंबानी अपनी सफलता के शिखर पर थे। अंबानी परिवार के लिए इनकी अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, उनके हर छोटे-बड़े फैसले में रमेश भाई ओझा की सलाह शामिल होती है। बताया जाता है कि, मुकेश अंबानी अपने बिजनेस में कुछ भी नया करने से पहले अपने गुरु की सलाह लेते हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी के बीच कारोबार को लेकर संघर्ष चल रहा था, तब इनके गुरु ने ही दोनों भाइयों के बीच सुलह कराई थी। मुकेश और अनिल की मां कोकिलाबेन ने उन्हें इस मसले का हल निकालने और भाइयों के बीच हुए इस संघर्ष को खत्म करने के लिए बुलाया था, जिसके बाद वो आए भी और अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए दोनों भाइयों में सुलह भी कराई थी।
आध्यात्मिक गुरु रमेश भाई ओझा, धीरूभाई अंबानी के समय से ही अंबानी परिवार के संरक्षक बने हुए हैं। ऐसा कहा जाता है कि, ‘रिलायंस’ के संस्थापक धीरुभाई अंबानी की पत्नी कोकिलाबेन अक्सर उनके वीडियोज देखा करती थीं। उनसे प्रभावित होकर साल 1997 में उन्होंने अपने घर ‘राम कथा’ कराने के लिए रमेश भाई ओझा को आमंत्रित किया था। ‘रामायण पाठ’ का ये कार्यक्रम एक सप्ताह तक चला था।
इस दौरान रमेश भाई ओझा और अंबानी परिवार के अच्छे रिश्ते बन गए थे और तब से लेकर अब तक रमेश भाई ओझा अंबानी परिवार के गुरु के रूप में उनके साथ हैं। आध्यात्मिक गुरु के भाई गौतम ने ‘मुंबई मिरर’ को बताया था कि, ”उस दौर में अंबानी परिवार के आवास में ही रमेश भाई ओझा की ‘राम कथा’ का आयोजन किया गया था। एक सप्ताह तक चले इस कार्यक्रम के दौरान अंबानी परिवार के साथ ओझा के अच्छे संबंध बन गए थे।
पूरे दिन राम कथा चलती थी और शाम को रमेश भाई के साथ चर्चा होती थी।’ तब से शुरू हुआ ये सिलसिला अब गुरु-शिष्य के बीच के मजबूत रिश्ते में बदल गया है और अब वो अंबानी परिवार के हर कार्यक्रम में परिवार के एक सदस्य की तरह ही शामिल होते हैं।
अंबानी फैमिली रमेश भाई ओझा का कितना सम्मान करती है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, जब जामनगर में रिलायंस ने अपनी पहली रिफाइनरी स्थापित की थी, तो इसका उद्घाटन रमेश भाई ओझा ने ही किया था। इस दौरान उन्होंने रिलायंस के कर्मचारियों को संबोधित करते हुए उन्हें कर्मय़ोग का महत्व भी समझाया था।
जो नहीं जानते उन्हें बता दें कि, रमेश भाई ओझा को आध्यात्मिक गुरु के तौर पर जाना जाता है, जिन्होंने धर्म के सिद्धांतों को व्यवहारिकता के साथ जोड़ने का काम किया है। न केवल अंबानी परिवार, बल्कि देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात के तमाम बड़े नेता उनके आश्रम में जा चुके हैं। जानकारी के अनुसार, जब देश की विदेश मंत्री रहते हुए सुषमा स्वराज ने ‘भागवत गीता’ को राष्ट्रीय धार्मिक ग्रंथ घोषित करने पर जोर दिया था, तब रमेश भाई ओझा ही उनके मार्गदर्शक थे।
रमेश भाई ओझा का जन्म गुजरात के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनकी दादी भागवत गीता को बहुत मानती थीं और वो चाहती थीं कि, उनके घर में रोज भागवत गीता का पाठ हो। दादी की इसी इच्छा को पूरा करने के लिए वो रोज गीता का पाठ करने लगे और उनकी रुचि आध्यात्म के प्रति बढ़ गई और वो आध्यात्मिक गुरु बन गए।
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