हल्की बारिश के बीच टेंट सिटी में सैलानियों का हुजूम उमड़ा। पांच हजार श्रद्धालुओं में कोई दर्शन के लिए आ रहा था तो कोई दर्शन कर लौट रहा था। बम-बम भोले की आवाज के बीच बादलों की जोरदार गर्जना हुई, लेकिन किसी को नहीं पता था कि पवित्र गुफा से थोड़ी दूर बादल फटने से टेंट सिटी डूबने वाली है। गुफा के ठीक सामने समतल क्षेत्र में बने टेंट सिटी में श्रद्धालु जाने और लौटने की तैयारी कर रहे थे। तभी पानी की आवाज आने लगी। पवित्र गुफा के बाईं ओर ऊपर से नीचे तक पानी की एक विशाल धारा आई।
गुफा के सामने बहने वाली खाई में और भी कई जगहों से पानी जोर-जोर से बहने लगा। अमरनाथ गुफा के पास शुक्रवार को आपदा की सूचना मिली थी। बादल फटने की घटना शाम करीब साढ़े पांच बजे हुई। अब तक 16 लोगों के मृत्यु की खबर है, जबकि 40-50 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं। भारतीय सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीमें देर रात से बचाव अभियान में लगी हुई हैं।
आईटीबीपी ने कहा, “शाम को शुरू हुई भारी बारिश के बाद हमने श्रद्धालुओं से अपने तंबू छोड़कर अन्य जगहों पर जाने की अपील की।” लेकिन बादल फटते ही भक्तों में कोहराम मच गया। Cloudburst के जो वीडियो सामने आए हैं वो बेहद डरावने हैं। वीडियो में अमरनाथ गुफा के पास बहुत तेज धारा दिखाई दे रही है। पवित्र गुफा की ओर से एकाएक भीड़ हुई। यह देख वहां मौजूद श्रद्धालु भी डर गए।
हालांकि मलबा ऊपर वाले तंबू के करीब नहीं आया, लेकिन बाद में मलबा नीचे आ गया और कई तंबू बह गए। आईटीबीपी के पीआरओ ने यह भी कहा कि पानी के तेज बहाव के कारण बीच में करीब 30-40 टेंट बह गए। राहत की बात यह है कि इन टेंटों में कम लोग थे क्योंकि लोगों को पहले ही आईटीबीपी ने खाली करा लिया था। वहीं, आईटीबीपी के जवानों ने बाढ़ का पानी आने के बाद कुछ लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। पानी कितनी तेजी से बहता है यह वीडियो में देखा जा सकता है।
इस बीच श्रद्धालुओं में अफरा-तफरी का माहौल देखने को मिल रहा है। बचाव अभियान का नेतृत्व भारतीय सेना कर रही थी। एनडीआरएफ, आईटीबीपी और जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ राहत और बचाव अभियान चलाया जा रहा है। भारतीय सेना ने भी घटना से प्रभावित लोगों को बचाने के लिए छह टीमों का गठन किया है। इसके अलावा बचाव हेलीकॉप्टर भी तैनात किए गए हैं। बचाव अभियान एएलएच हेलीकॉप्टरों की मदद से चलाया जा रहा है। घायलों का तीनों बेस अस्पतालों में इलाज चल रहा है। ऊपरी पवित्र गुफा, निचली पवित्र गुफा, पंजतरणी और आसपास के क्षेत्र में सुविधाएं मिल रही हैं।
अकेले गांदरबल में 16 एंबुलेंस अलर्ट मोड पर हैं। राहत कार्य के लिए यहां 28 डॉक्टर, 98 पैरामेडिक्स, 16 एंबुलेंस और एसडीआरएफ की टीमें तैनात हैं। स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट मोड पर है। कर्मचारियों की छुट्टी भी रद्द कर दी गई है और उन्हें ड्यूटी पर आने को कहा गया है। अधिकारियों को अपने फोन स्विच ऑन रखने के भी निर्देश दिए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
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Situation near Amarnath cave after yesterday cloud burst.#AmarnathYatra #AmarnathCave #AmarnathCloudburst #cloudburst #अमरनाथ #AmarnathYatris #Jammu #अमरनाथ_गुफा pic.twitter.com/wskKUpoGgk— Anil Kumar Verma (@AnilKumarVerma_) July 9, 2022
उन्होंने श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से घटना की पूरी जानकारी ली। पीएम नरेंद्र मोदी के साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह और महाराष्ट्र के पूर्व कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे समेत कई लोगों ने दुख जताया है। अमरनाथ यात्रा के दौरान पिछले 12 वर्षों में गुफा के पास तीन बादल फट चुके हैं, लेकिन इतनी तबाही पहले कभी नहीं दिखी।
#WATCH | Indian Army continues rescue operation in cloudburst affected area at the lower Amarnath Cave site
(Source: Indian Army) pic.twitter.com/0mQt4L7tTr
— ANI (@ANI) July 9, 2022
यह पहला मौका है जब बादल फटने से इतने लोगों की जान गई है और कई अब भी लापता हैं। मिली जानकारी के मुताबिक साल 2010 में गुफा के पास बादल फटा था, लेकिन उसके बाद कोई नुकसान नहीं हुआ था। 28 जुलाई 2021 को गुफा के पास बादल फटने से तीन लोगों को बचाया गया था। उस वक्त भी कोई हताहत नहीं हुआ। इस बार बादल फटने से काफी नुकसान हुआ है। वर्ष 1989 में अमरनाथ यात्रा के दौरान एक बड़ी त्रासदी हुई थी। जुलाई 1969 में अमरनाथ मार्ग पर भी बादल टूटा। इसमें करीब 100 श्रद्धालुओं की मौत हुई थी।