दया शंकर का जन्म और पालन-पोषण मुंबई में हुआ था, लेकिन वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के हैं। आज अपने दम पर उन्होंने सभी के दिलो में खास जगह बनाई है। आज हम सब उन्हें चालू पांडे के नाम से जानते है।
चालू पांडे का गांव भदोही जिले में जगनपुर मिश्रान है। और उनकी पत्नी भी वाराणसी के धौकलगंज की रहने वाली है। वो अपने गांव में हर साल 3-4 महीने बिताता है। और इतने बड़े स्टार होते हुए भी वो अपने गांव को नहीं भूले है। उन्होंने वाराणसी में एक फिल्म ‘धरम’ और कुछ महीने पहले ओटीटी सीरीज ‘रक्तांचल’ की शूटिंग भी की है।
अक्सर अस्वीकृति का सामना करने के बाद, अभिनेता दया शंकर पांडे ने अपने कौशल और प्रदर्शन पर अधिक काम करना सीखा। उन्होंने बताया था की “मुझे पता है कि मेरे पास पहली नजर में किसी को प्रभावित करने के लिए व्यक्तित्व नहीं है। भगवान ने हमें ऐसा बनाया है। कड़वी सच्चाई यह है कि मैं किसी मेकअप के साथ भी हीरो की तरह नहीं दीखता हु। हमें उस वास्तविकता को स्वीकार करने की आवश्यकता है! लेकिन मैं जो कर सकता हूं वह अपने अभिनय कौशल पर अधिक ध्यान केंद्रित करना है।”
उनकी यात्रा शायद दूरदर्शन पर फिल्में देखने के बाद अभिनेताओं की नकल करने के साथ शुरू हुआ। इसलिए, स्कूल और कॉलेजों में मैंने थिएटर में अभिनय करना शुरू कर दिया। फिल्म इंडस्ट्री में करियर बनाने के लिए कैमरामैन ज्ञान सहाय के असिस्टेंट के तौर पर ज्वाइन किया और छोटे-छोटे रोल भी करने लगे। उनकी पहली भूमिका ‘गुलाम’ के साथ आई।
‘लगान’ में उनका रोल गोली उनका टर्निंग पॉइंट था। इस रोल से दया शंकर पांडे काम को पहचान मिलने लगी और फिर ‘गंगंजल’, ‘स्वदेश’, ‘रजनीति’ और ‘चक्रव्यूह’ जैसी फिल्मो में उन्होंने रोल किया। उसके बाद रचनात्मक सलाहकार के रूप में ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ दया शंकर पांडे को शामिल किया और एक एपिसोड के सीरीज में उनको इंस्पेक्टर चालू पांडे की भूमिका दी। उसके बाद इस किरदार को बहुत सारा प्यार मिला और आज चालू पांडे एक घरेलु नाम बन गया है।
टीवी सीरियल ‘महिमा शनिदेव की’ में दया की मुख्य भूमिका ने उनकी लोकप्रियता को दूसरे स्तर पर पहुंचा दिया। इस शो में आध्यात्मिकता और व्यक्तित्व के लिए बहुत अच्छा किया।