किसी भी ऊंचे मुकाम पर पहुंचने के लिए सिर्फ किस्मत के भरोसे नहीं बैठना चाहिए, बल्कि इसके लिए व्यक्ति को दिन रात मेहनत भी करनी पड़ती है। खेल जगत हो या फिर बॉलीवुड, लाखों की भीड़ में अपनी पहचान बनाने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत और संघर्ष करना पड़ता है।
इसी संघर्ष का जीता जागता उदाहरण है पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi), जो बॉलीवुड में अपने बेहतरीन एक्टिंग और अलग अंदाज के लिए जाने जाते हैं। लेकिन पंकज त्रिपाठी का नाम जितना ऊंचा है, वह असल जीवन में उतने ही साधारण हैं। खेतों पर काम करने वाले पंकज त्रिपाठी ने फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है, जो बहुत ही संघर्ष भरा सफर था।
पंकज त्रिपाठी का जन्म बिहार के गोपालगंज में हुआ था, उनके पति का नाम पंडित बनारस त्रिपाठी और मां हिमवंती देवी है। 3 भाई बहनों के बाद पैदा होने वाले पंकज अपने परिवार में सबसे छोटे हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें अपने जीवन में कई उतार चढ़ाव झेलने पड़े।
पंकज त्रिपाठी बचपन से ही गांव के नुक्कड़ नाटक और रंगमंच आदि में हिस्सा लिया करते थे, जहां उन्हें ज्यादातर महिलाओं का रोल दिया जाता था। पंकज की एक्टिंग इतनी जबरदस्त थी कि लोग उनकी बहुत तारीफ किया करते थे और उन्हें मुंबई जाकर एक्टिंग करने के लिए प्रोत्साहित करते थे। हालांकि गांव के लोग मुंबई के संघर्ष भरे जीवन से अंजान थे, इसलिए उन्हें यह नहीं पता था कि पंकज की बेहतरीन हीरो बनने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी।
पंकज त्रिपाठी अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद कॉलेज की पढ़ाई के लिए पटना चले गए, जहां से उनकी जिंदगी ने एक अलग मोड़ लिया। पंकज त्रिपाठी ने होटल मैंनेजमेंट की पढ़ाई करने के साथ साथ कॉलेज राजनीति और नाटक आदि में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इतना ही नहीं कॉलेज में छात्र संगठन ABVP के साथ जुड़ने के बाद एक रैली के दौरान उन्हें 1 हफ्ते के लिए जेल भी जाना पड़ा था।
वहीं दूसरी तरफ पंकज त्रिपाठी एक्टिंग के क्षेत्र में भी कुछ बेहतर करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्हें कोई अच्छा रोल नहीं मिल रहा था। ऐसे में पंकज ने आजीविका चलाने के लिए पटना के होटल में काम करना शुरू कर दिया, जहां वह किचन का काम संभालते थे।
अपना खर्च चलाने के लिए पंकज रात के समय होटल में काम करते थे और सुबह थिएटर चले जाते थे, इस तरह 2 साल तक उन्होंने यही रूटीन फ्लो किया। इस बीच पंकज त्रिपाठी को सिर्फ 4 से 5 घंटे सोने के लिए मिलते थे, बाकि के समय वह होटल के काम और थिएटर प्रैक्टिस में व्यस्त रहते थे।
मुंबई में अपने एक्टर बनने के सपने को पूरा करने के लिए पंकज त्रिपाठी छोटे छोटे रोल के लिए निर्देशकों के पीछे लगे रहते थे, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें रोल नहीं मिलता था। कई बार तो ऑडिशन में जाने के लिए भी बहुत ज्यादा स्ट्रगल करना पड़ता था, क्योंकि माया नगरी में पैसे के बिना कुछ मुमकिन नहीं है।
पंकज त्रिपाठी के फिल्मी सफर के साथ साथ उनकी लव स्टोरी भी काफी रोमांचक थी, उनकी अपनी पत्नी से पहली मुलाकात एक शादी समारोह में हुई थी। उस समय पंकज 10वीं कक्षा में पढ़ते थे, जिन्हें पहली ही नजर में मृदुला से प्यार हो गया। इसके बाद पंकज और मृदुला की लव स्टोरी चलती रही और पंकज साइड बाय साइड अपने करियर को भी हवा देते रहे।
साल 2004 में पंकज त्रिपाठी और मृदुला शादी के बंधन में बंध गए और मुंबई शिफ्ट हो गए, जिसके तुंरत बाद पंकज को टाटा टी के एड में काम करने का मौका मिला था। उस एड को करने के बाद पंकज को अभिषेक बच्चन और भूमिका चावला की फिल्म रन और सैफ अली खान व अजय देवगन की फिल्म ओमकारा में रोल मिला, लेकिन उस समय किसी ने भी उनकी एक्टिंग पर खास ध्यान नहीं दिया।
इस बीच पंकज छोटे मोटे रोल तलाश करते और उसमें काम करके घर खर्च चलाने की कोशिश करते थे, लेकिन छोटे रोल के बदले उन्हें बहुत कम मेहनताना मिलता था। ऐसे में शादी के बाद मृदुला ने ही घर खर्च चलाने में अहम भूमिका निभाई थी, मृदुला ने साल 2004 से 2010 तक घर की सारी जरूरतों को ख्याल रखा था क्योंकि उस समय तक पंकज त्रिपाठी को बॉलीवुड में पहचान नहीं मिली थी।
जब पंकज त्रिपाठी के सारे पैसे खत्म हो गए थे और उनकी जेब में सिर्फ 10 रुपए बचे थे, इसी दौरान उनकी पत्नी मृदुला का जन्मदिन था। पंकज के पास मृदुला के लिए केक खरीदने के भी पैसे नहीं थे, ऐसे में वह अपनी पत्नी को क्या गिफ्ट देते। लेकिन उनकी पत्नी इस बात को बहुत अच्छी तरह से समझती थी, इसलिए उन्होंने कभी भी पंकज से किसी चीज की डिमांड नहीं की और सालों तक घर खर्च चलाते हुए पंकज के संर्घष में उनका साथ दिया।
कॉलेज से लेकर शादी हो जाने के बाद तक पंकज त्रिपाठी को बॉलीवुड फिल्मों में छोटे मोटे रोल मिलते थे, जिसकी वजह से उन्हें असल एक्टिंग दिखाने का मौका ही नहीं मिल पाया। लेकिन साल 2012 में रिलीज हुई मल्टी स्टार्र फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर (Gangs of Wasseypur) में पंकज त्रिपाठी ने अपने अभिनय से हर किसी को हैरान कर दिया था। अनराग कश्यप के निर्देशन में बनी इस फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी और मनोज बाजपेयी जैसे बड़े स्टार्स ने काम किया था, लेकिन सारी लाइम लाइट पंकज त्रिपाठी ने लूट ली।
इसके बाद पंकज त्रिपाठी को बॉलीवुड फिल्मों के ऑफर आने लगे और एक समय ऐसा भी आया, जब डेट्स की कमी होने की वजह से पंकज त्रिपाठी को कई फिल्मों के न कहना पड़ा। पंकज त्रिपाठी ने स्त्री, मसान, सुपर 30, गुंजन सक्सैना, मिमी और गैं ग्स ऑफ वासेपुर 2 जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया है, इसके साथ ही उन्होंने मिर्जापुर, कागज, लूडो, स्के ड गे म्स और गुडगांव जैसी वे ब सीरिज में बेहतरीन अभिनय किया है। पंकज त्रिपाठी के डॉयलॉग इतने ज्यादा फेमस हो चुके हैं कि बच्चे बच्चे को मुंह जुबान याद हैं।
हालांकि इसके बावजूद भी पंकज त्रिपाठी का जीवन बहुत ही सरल है, वह आज भी गांव जाकर अपने दोस्तों के साथ आग में लिट्टी चोखा बनाते और खाते हैं। गांव की जमीन में खेती करते हैं और माता-पिता के साथ समय बीताता हैं, पंकज त्रिपाठी का सरल और सादगी भरा जीवन इस बात का उदाहरण है कि व्यक्ति को कभी अपनी कामयाबी को सिर नहीं चढ़ाना चाहिए।