पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत दर्ज एक मामले में अभिनेता मुनमुन दत्ता को दी गई अंतरिम अग्रिम जमानत की “पूर्ण” या पुष्टि की। बबीता को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए उन्हें अग्रिम जमानत दे दी है।
शुक्रवार को सहायक एडवोकेट जनरल डिंपल जैन ने जस्टिस अवनीश झिंगन की कोर्ट को बताया कि हाई कोर्ट के चार फरवरी के आदेश के तहत दत्ता ने जांच ज्वाइन कर ली है और जांच दल को पूरा सहयोग कर रही हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि अब याची को अग्रिम जमानत दी जा सकती है। हालांकि शिकायतकर्ता ने मुनमुन दत्ता को जमानत दिए जाने का विरोध किया।
न्यायमूर्ति झिंगन ने सुनवाई की पिछली तारीख को कहा था कि यह एक बहस का मुद्दा होगा कि क्या खुद का वर्णन करने के लिए आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल ही अधिनियम के दायरे में आने के लिए पर्याप्त होगा। न्यायमूर्ति झिंगन ने जोर देकर कहा, “यह अदालत यह कहने से आत्म संयम बरतती है कि ‘प्रथम दृष्टया’ अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं हैं, क्योंकि यह जांच और मुकदमे को प्रभावित कर सकता है।”
सुप्रीम कोर्ट के ढेर सारे फैसलों का जिक्र करते हुए, जस्टिस झिंगन ने कहा कि वर्तमान स्तर पर यह उचित नहीं होगा कि हाई कोर्ट के लिए यह निष्कर्ष निकालने के लिए कि एससी एंड एसटी एक्ट की धारा 3 के तहत अपराध बनाया गया था। “यह इस बात का विस्तार करने का मंच नहीं होगा कि क्या इस मुद्दे को अधिनियम के प्रावधानों के दांतों के भीतर लाने के लिए एक कम इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द पर्याप्त होगा”।
कोर्ट ने अग्रिम जमानत देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया है। पिछले दिनों हिसार की एससी एसटी एक्ट के तहत स्थापित विशेष अदालत ने मुनमुन दत्ता की अग्रिम जमानत की मांग को खारिज कर दिया था, जिसके बाद अब दत्ता ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी। कोर्ट ने उनको चार फरवरी को अंतरिम जमानत देते हुए जांच अधिकारी के सामने पेश होने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट के आदेश पर दत्ता जांच अधिकारी डीएसपी विनोद शंकर के समक्ष पेश हुई।
डीएसपी ने लगभग चार घंटे तक उनसे अपने कार्यालय में पूछताछ की थी। मुनमुन दत्ता ने जांच अधिकारी से कहा कि उन्होंने वीडियो शूट के दौरान जिस शब्द का प्रयोग किया था, हकीकत में उसका अर्थ नहीं जानती थीं। बाद में उन्होंने खेद भी प्रकट किया था। उसने वीडियो शूट के दौरान प्रयोग किए गए फोन को पुलिस को सौंप दिया था।
मुनमुन दत्ता पर 13 मई 2021 दर्ज मामले में जाति विशेष का नाम लेते हुए यूट्यूब पर एक वीडियो में आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगा था, जिसके बाद देशभर में अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों में भारी गुस्सा देखा गया। हिसार जिले के हांसी में उनके खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत एफआइआर दर्ज की गई थी। मुनमुन दत्ता की तरफ से कहा गया कि वह बंगाल से हैं और उसने जिस शब्द का कथित तौर पर इस्तेमाल किया था, वह बांग्ला भाषा में आमतौर पर इस्तेमाल किया जाता है। उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि वह शब्द ‘जातिवादी’ है।